पानी बूंद अमोल हे.....
विधा-------दोहा
विधा-------दोहा
पानी बूंद अमोल हे, राखव एखरे मान।
बूंद बूंद बचावव जल, बात समझलव जान॥
बूंद बूंद बचावव जल, बात समझलव जान॥
खरचा कर देव पानी, जनम जनम भरमान।
अब धरती ले पानी ह, कति ले आवय जान॥
अब धरती ले पानी ह, कति ले आवय जान॥
पानी रहत खूब करे ,छकल छकल तंय जान।
भर भर लोटा नहाये, अब अंजली असनान॥
भर भर लोटा नहाये, अब अंजली असनान॥
कपड़ा लत्ता बरतन ल,छिन छिन मांजय सान।
पानी बऊरे अइसे, जइसे पर घर जान॥
पानी बऊरे अइसे, जइसे पर घर जान॥
टेड़ा नल झुख्खा हवय,नल बन गे हे बांझ।
माथा धर पछतात हे,गुनव ज्ञानी सुजान॥
माथा धर पछतात हे,गुनव ज्ञानी सुजान॥
सब रूख रई काटेव, आंखी मूंद नदान।
जीव जंगल नंदागे हे, तब फरकत हे कान॥
जीव जंगल नंदागे हे, तब फरकत हे कान॥
रूख लगावव कोरि त हे, तभे धरा के जान।
अभी ले समझव बात ल, झन बनव ग नादान॥
अभी ले समझव बात ल, झन बनव ग नादान॥
रचना
हेमंतकुमार मानिकपुरी
भाटापारा
जिला
बलौदाबाजार-भाटापारा
छत्तीसगढ़
हेमंतकुमार मानिकपुरी
भाटापारा
जिला
बलौदाबाजार-भाटापारा
छत्तीसगढ़
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