तरिया सुखा गे कुंवा भठा गे नदिया के सब सिरागे पानी .
पानी बिन करलई होवत हे ; का मनखे का पसु परानी l
सावन भादो के बादर ह घलो ए बछर लबरा हो गे .
करम छाड़ गय सब किसान के ; ना जाने काय दोखहा हो गे l
रुख राइ ला काट काट के जंगल ला नंगरा कर डारेन ,
एखरे खातिर मउसम घलो ह ;
अनठेरहा अलकरहा हो गे l
अपन गोड़ म पथरा कचार के
हमन करत हवन नदानी l1l
पानी बिन करलई होवत हे ; का मनखे का पसु परानी l
सावन भादो के बादर ह घलो ए बछर लबरा हो गे .
करम छाड़ गय सब किसान के ; ना जाने काय दोखहा हो गे l
रुख राइ ला काट काट के जंगल ला नंगरा कर डारेन ,
एखरे खातिर मउसम घलो ह ;
अनठेरहा अलकरहा हो गे l
अपन गोड़ म पथरा कचार के
हमन करत हवन नदानी l1l
मरे पियास के तरुवा सुखागे ;
बुंद बुंद बर सब तरसत हे l
चिरई चुरगुन मन तलफत हे
गाय गोरु मन लहकत हे l
बिन पानी के फाटत हावय
धरती महतारी के छाती l
जल जीवन ए सिरतोन संगी
ये नारा मोला सच लागत हे l
जल संरछन करबो अब औ
रोक के रखबो बरखा के पानी l2एल
महेश पांडेय मलंग
पंडरिया जिला कबीरधाम
बुंद बुंद बर सब तरसत हे l
चिरई चुरगुन मन तलफत हे
गाय गोरु मन लहकत हे l
बिन पानी के फाटत हावय
धरती महतारी के छाती l
जल जीवन ए सिरतोन संगी
ये नारा मोला सच लागत हे l
जल संरछन करबो अब औ
रोक के रखबो बरखा के पानी l2एल
महेश पांडेय मलंग
पंडरिया जिला कबीरधाम
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