पानी हे जिनगानी ।।
पानी हे अनमोल भईया फोक्कट म झन गंवाबे ग।
पानी के जब होहि किल्लत बड़ तै पछताबे ग।
पानी म तै कपड़ा धोबे अऊ पानी म ही नहाबे ग।
पानी ल सकेल संगी फोक्कट झन बोहाबे ग।
पानी हे अनमोल भईया फोक्कट म झन गंवाबे ग।।
पानी बिन सोच ले संगी बड़ दुख तै पाबे ग।
जगह जगह म झगड़ा होही झगड़ालू तै कहाबे ग।
पानी म हे जिनगानी भईया जीवन के आधार बनाबे ग।
पानी ल बचा के भईया सबके भाग जगाबे ग।
पानी हे अनमोल भईया फोक्कट म झन गंवाबे ग।
पानी बचाय बर बनाव सुघ्घर योजना बाद में ओकर लाभ उठाबे ग।
पानी ल तै सकेल ले भईया बड़ नाम तै एक दिन कमाबे ग।
पानी हे अनमोल भईया फोक्कट म झन गंवाबे ग।
रचनाकार÷ राजेश कुमार निषाद ग्राम चपरीद
पानी हे अनमोल भईया फोक्कट म झन गंवाबे ग।
पानी के जब होहि किल्लत बड़ तै पछताबे ग।
पानी म तै कपड़ा धोबे अऊ पानी म ही नहाबे ग।
पानी ल सकेल संगी फोक्कट झन बोहाबे ग।
पानी हे अनमोल भईया फोक्कट म झन गंवाबे ग।।
पानी बिन सोच ले संगी बड़ दुख तै पाबे ग।
जगह जगह म झगड़ा होही झगड़ालू तै कहाबे ग।
पानी म हे जिनगानी भईया जीवन के आधार बनाबे ग।
पानी ल बचा के भईया सबके भाग जगाबे ग।
पानी हे अनमोल भईया फोक्कट म झन गंवाबे ग।
पानी बचाय बर बनाव सुघ्घर योजना बाद में ओकर लाभ उठाबे ग।
पानी ल तै सकेल ले भईया बड़ नाम तै एक दिन कमाबे ग।
पानी हे अनमोल भईया फोक्कट म झन गंवाबे ग।
रचनाकार÷ राजेश कुमार निषाद ग्राम चपरीद
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