शनिवार, 23 अप्रैल 2016

पागा कलगी -8//राजेश कुमार निषाद

 पानी हे जिनगानी ।।
 पानी हे अनमोल भईया फोक्कट म झन गंवाबे ग। 
पानी के जब होहि किल्लत बड़ तै पछताबे ग। 
पानी म तै कपड़ा धोबे अऊ पानी म ही नहाबे ग। 
पानी ल सकेल संगी फोक्कट झन बोहाबे ग। 
पानी हे अनमोल भईया फोक्कट म झन गंवाबे ग।। 
पानी बिन सोच ले संगी बड़ दुख तै पाबे ग। 
जगह जगह म झगड़ा होही झगड़ालू तै कहाबे ग। 
पानी म हे जिनगानी भईया जीवन के आधार बनाबे ग। 
पानी ल बचा के भईया सबके भाग जगाबे ग। 
पानी हे अनमोल भईया फोक्कट म झन गंवाबे ग। 
पानी बचाय बर बनाव सुघ्घर योजना बाद में ओकर लाभ उठाबे ग। 
पानी ल तै सकेल ले भईया बड़ नाम तै एक दिन कमाबे ग। 
पानी हे अनमोल भईया फोक्कट म झन गंवाबे ग।

 रचनाकार÷ राजेश कुमार निषाद ग्राम चपरीद

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