सोमवार, 1 अगस्त 2016

पागा कलगी-14 /25/डां अशोक आकाश

मैंरखू ला ढेंकी थुरथे.....
धान ला कुट के चाऊंर बनाथे , मैरखू ला ढेंकी थुरथे ।
कब तक लद्दी में बोजाय रहिबे , घुरुवा के दिन बहुरथे ।।
लात में मारथे नाली में फेंकथे , तेन ला लछमी फुरथे ..........
मैरखू ला ढेंकी थुरथे .......
पोसन नी सके तेकर घर होय , लैका झोरफा-झोरफा ।
लैका बर तरसथे तेकर घर में , होथे धन के बरसा ।।
ये दुनिया में अन्न उपजैय्या , किसान हा भूखों मरथे ........
कब तक लद्दी मे बोजाय रहिबे ,घुरुवा के दिन बहुरथे ।
मैरखू ला ढेंकी थुरथेे.........
तेली के घर में डबका चुरथे , सोनकर मरार घर सरहा जुरहा ।
गुरूजी के लैका गदहा निकलथे , पुलिस के लैका चोरहा ।।
साधू सज्जन मैनखे देख के , उलटा छूरा मुडथे ।।
कब तक लद्दी में बोजाय रहिबे , घुरुवा के दिन बहुरथे ।
मैरखू ला ढेंकी थुरथे .......
कपड़ा बेचैया के लैका मन हा , नी पहिने गा जुनहा ।
अन्न उपजैय्या किसान ला होथे , एकक दाना सोनहा ।।
एकर तन ला खाय पसीना , पथरा हा नून में घुरथे ।।
कब तक लद्दी में बोजाय रहिबे , घुरुवा के दिन बहुरथे ।
मैरखू ला ढेंकी थुरथे .......
दर्जी के लैका उघरा गिंजरथे , डांक्टर के लैका घौहा ।
जेन ला हम पांच साल बर चुनथन , तेकर नै हे दौहा ।।
घी हा सीधा में नै निकले , टेंडगा अंगरी निकलथे ।
जरे के पहिली मरे सांप हा , घलो ठाढ उछलथे ।।
बडे - बडे बाम्हन के घर में , कुकरा मछरी चुरथे ।
ये दुनिया के रीत हे उलटा , गुन - गुन के मन घुरथे ।।
कब तक लद्दी में बोजाय रहिबे , घुरुवा के दिन बहुरथे ।
मैरखू ला ढेंकी थुरथे .........
डां अशोक आकाश
ग्राम कोहंगाटोला बालोद
जिला बालोद (छ.

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