शुक्रवार, 5 अगस्त 2016

पागा कलगी-15//5//गुमान प्रसाद साहू

- देस बर जीबो देस बर मरबो
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"देश बर जीबो देश बर मरबो,देश के सेवा ल बजाबो ग।"
जब तक रहि तन म सुवाँसा,लाज ल एकर बचाबो ग।
खून बोहाये हे पुरखा हमर,अंगरेज ले ऐला छोड़ाये बर।
हाँसत झूलगे फाँसी म कतको हर, अजाद ऐला कराये बर।
अइसन बीर सपूत के हमन,करजा ल चुका नइ पाबो ग।
देश बर जीबो देश बर मरबो,देश के सेवा ल बजाबो ग।
पाँव खलहारथे सागर जेकर,खोपा हिमालय ह कहाथे।
सोन चिरईया ऐकर भूइंयाँ म,अउ गंगा जमना बोहाथे।
जनम धरे हन एकर भूइंयाँ म,अउ माटी म इहे के मरजाबो ग।
देश बर जीबो देश बर मरबो,देश के सेवा ल बजाबो ग।
माटी म मिला देबो ओला,जेन बैरी नजर देश ल लगाही।
कतको करही परयास फेर,एकर धूर्रा घलो ल नइ पाही।
बनके एकर रखवार हमन सब, शरहद म डट जाबो ग।
देश बर जीबो देश बर मरबो देश के सेवा ल बजाबो ग।
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रचना :- गुमान प्रसाद साहू
ग्राम-समोदा ( महानदी )
थाना-आरंग ,जिला-रायपुर छ.ग.
9977213968

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