सोमवार, 21 मार्च 2016

पागा कलगी -6 //लक्ष्मी नारायण लहरे

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आ रंग लगाहूँ रे पीला -नीला 
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सखी आ खेबोंन होरी 
रंग धरेंहंव पीला नीला
मया के रंग लगाले
मोर संगवारी
काबर मुहु ल फेरत हस
पिचकारी म रंग नइये
काबर डरावत हस
काब्या , तन्नु नाचत हावे
ईशा देख भागत हावे
चल आ
आ रंग लगाहूँ रे पीला -नीला
होरी के हे तिहार
रंग म हावे मोर मया अउ पियार
आ मोर संगवारी
रंग धरेंहंव पीला नीला
मया के रंग लगाले
खुसी के आज दिन आय
छोटे बड़े के भेद ल मिटादी
गले मिलके मन ल मिलाली
आ संगवारी
अपन मया के संदेशा भाई ल बता दी
दाई -ददा के आसिरवाद ले ली
गाँव गली म संगवारी
होरी के बहाना
दुसमनी ल भुलादी
आ रंग लगाहूँ रे पीला -नीला
सखी आ खेबोंन होरी
रंग धरेंहंव पीला नीला
मया के रंग लगाले
मोर संगवारी
० लक्ष्मी नारायण लहरे , 

साहिल, कोसीर सारंगढ़

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