बुधवार, 23 मार्च 2016

//छत्तीसगढ़ी मंच के ये बोली हे, बुरा ना मानो होली हे//

मया रंग भेजत हवे, छत्तीसगढ़ी मंच ।
सब ला हे शुभकामना, धरव रंग के पंच ।
खूब बधाई झोक लव, सबो संगी यार ।
रंग खुशी के रंग लव, छोड़ छाड़ तकरार ।
छत्तीसगढ़ी मंच के, ये होली के रंग ।
चढ़े खुमारी खूब हे, संगी मन के संग ।
अड़बड़ रचनाकार मन, अपने रंग सजाय ।
पढ़ पढ़ पाठक मन घला, होली खूब मनाय ।
नशा रंग के देख तो, अनिल तिवारी पार ।
संग सुनिल शर्मा दिखय, करिया करिया झार ।।
बइठे हाट नवीन हा,संगी मन ला छोड़ ।
कहय अरूण संजीव हा, अउ जादा मत घोर ।।
हेमलाल, यादव सुशील, सूर्य कांत ला देख ।
पता नही का हे करत, कोन कहय मिन मेख ।।
झूमत हीरा, देव, हा, मिलन संग तो आय ।
माटी, जोगी, दिव्य, ला, संगे अपन मिलाय ।।
लक्ष्मी नारायण कहय, कती हवय घर मोर ।
‘निर्मोही‘ ओखर ले कहय, ओखर चिंता छोर ।।
रामेश्वर, सुखदेव हा, बइठे हवय अशोक ।
अमन, सुनिल साहू दुनो, पढ़त हवया गा श्लोक ।।
सोनु नेताम, के संग मा, तोषण गटकत भंग ।
आशा फरिकर शालिनी, लागे हे बड़ दंग ।।
हर्षल, ओम, मनोज हा, भागे रद्दा छोड़ ।
‘जख्मी‘, देवेन्द्र ध्रुव, बइठे हे मुॅह मोड़ ।।
संगी मन के झुण्ड़ मा, कोनो ना चिन्हाय ।
गाल गाल गुलाल मलंव, सबके तीर म जाय ।।
-रमेश चौहान

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