बुधवार, 23 मार्च 2016

पागा कलगी -6//शालिनी साहू

फागुन तिहार आगे रंगो संगवारी
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फागुन तिहार आगे रंगो संगवारी
संगी जहुंरिया मन मारय पिचकारी
छोटे बड़े लईका मन देवय किलकारी
फागुन तिहार आगे रंगो संगवारी
ले चल रे सैंया बनारस के खोर में
कुछ भेद नइये रे तोर अउ मोर में
मन के बात ल में कहे नइ सकों
तोर बिना साहू मैं रहे नइ सकों
मन के पीरा मोला हाबय बड़ा भारी
फागुन तिहार आगे रंगो संगवारी
आज हंसा के मोला झन जाबे छोड़ के
चले आहूं तोर घर लुगरा-ला ओढ़ के
रंग के मारे बैरी राधा बोथागे
लुगरा अउ पोलखर नि-रंग हा बोहागे
तैं बने कान्हा मे-हर बने राधा मतवारी
फागुन तिहार आगे रंगो संगवारी
शालिनी साहू
साजा बेमेतरा

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