शनिवार, 25 जून 2016

पागा कलगी-12/30/शालिनी साहू

परयावरण बचाबो
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हरियर हरियर रुख लगाबो
सुग्घर सितल छंईहा पाबो
करत रहव तुमन अइसनहे कटाई
फेर झिन कहू कइसे बिपदा आई
परयावरण ले छेडछाड करहू
अपने डोंगा म खुदे छेद करहू
करत रहव जंगल परबत के छटाई
फेर झिन कहू कइसे बिपदा आई
परकिरिती ल रुष्ट करहू
जीनगी भर कष्ट सइहू
चिरइ चिरगुन के संख्या घटाहू
सितल हवा काहा पाहू
शेर भालू के दहाड कइसे आही
जंगल नइ रिही त जम्मो गाव डहर आही
परदुषन ल दुरिहा भगाहू
जीनगानी ल खुशहाली बनाहू
जेन ए बात ल नइ समझिस
तब देखव कइसे घोर बिपदा मातिस।
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शालिनी साहू
अमली पारा कुरुद

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