रविवार, 19 जून 2016

पागा कलगी-12/14/अनुभव तिवारी

तरपत तरपत रहिगे चिरई अमराई कहां गंवागे रे
नावा जुग का आइस मनखे जुन्ना जुग ल भुलागे रे
दुख पीरा काकर करा गोहरावन देवता पथरा होगे रे
संसो म जिनगी पहाथे सुख अब सपना होगे रे
जेखर खांद म कूदन झूलन ओ बर पीपर नंदागे रे
नावा जुग का आइस मनखे जुन्ना जुग ल भुलागे रे
कइसे जिनगी जीबो संगी लोहा लाखड के अमराई म
कांपत हे छाती बिचकत हे मनखे अपन परछाई म
परियावरन परदूसित होगे चिरइ चुरगुन सिरागे रे
नावा जुग का आइस मनखे जुन्ना जुग ल भूलागे रे
अब भूंइया नइ बांचिस सिरतो मरघट काला बनाबो रे
परिया परे खेती डोली ल फेर कइसे हरियाबो रे
मानुस के लोभन म देखा सावन घलौ रिसागे रे
नावा जुग का आइस मनखे जुन्ना जुग ल भूलागे रे |
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आपका
अनुभव तिवारी खोखरा जांजगीर चाम्पा छग 9179696759

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