शनिवार, 18 जून 2016

पागा कलगी-12/4/ऋषि कुमार वर्मा

🌳झन काट रुख-राई ल🌳
हत् रे अभागा,तोला कतका बतावंव।
झन काट पेंड़ कहिके,कतका समझावंव।।
ये भुँइया ल तैँ अपन महतारी कहिथस।
बेटा अंव माटी के तैँ भारी कहिथस।।
फेर हत् रे करमछड़हा,ये तैँ काय करतहस।
काट-काट पेंड़ तैँ,बड़ बाय करतहस।।
खच्चित हे एक दिन तैँ भारी पछताबे।
उजरही तोर घर-दुवार त,करम ल ठठाबे।।
के ठन खोन्दरा हे ओ पेंड़ में,बने बट-बट ले निहार।
ओकर घर ल ऊजार्,तैँ मनावत हस तिहार।।
अपन करम के फल ल तैँ इंहेच भोगबे।
देखबे,तोरो घर उजरही,त तैँ कइसे रोकबे।।
अरे भोकवा,चिटिकुन सोंच,बिहिनिया के बेरा।
तोला सुते खटिया ले उठाथे,छोड़ अपन डेरा।।
अपन मया ल तैँ,मोर मैना,मोर सुआ,मोर कोयली,मोर पड़की कहिथस।
सब ल मार डरबे त देखहुँ,तैँ कइसे रहिथस।।
अरे रुख-राई,चिरई-चुरगुन,शोभा ये धरती दाई के।
कोनो बेटा नई उतारय,सिंगार अपन माई के।।
चेत जा,मान जा,झन काट रुख-राई ल।
नई ते तोर सेती रे पगला,भोगबो करलाई ल।।
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ऋषि कुमार वर्मा
ग्राम-निनवा
पोस्ट-मनोहरा
व्हाया-बैकुंठ
तह.-तिल्दा
जिला-रायपुर(छ.ग.)
493116

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