मनखे मन के मन ले मया सिरावत हे ।
घरी घरी, घरी जातरी के आवत हे ॥
घरी घरी, घरी जातरी के आवत हे ॥
साँस के धरखन हावै दुनियाँ के रुख राई,
इंकरे ले झक्कर, झड़ी अउ हे पुरवाई ।
रुख ल काट के कस्साई कस गिरावत हे ॥
इंकरे ले झक्कर, झड़ी अउ हे पुरवाई ।
रुख ल काट के कस्साई कस गिरावत हे ॥
खोंधरा के भीतर ले चूजा चिंचियावत हे,
आरा टाँगा धर ओदे मनखे आवत हे ।
चिऊचींउ सुन के घलाव नइ सोगावत हे ॥
आरा टाँगा धर ओदे मनखे आवत हे ।
चिऊचींउ सुन के घलाव नइ सोगावत हे ॥
घाम ह आगी होगे अक्कल फेर नइ आइस,
केदार के परलै देखिस परछो फेर नइ पाइस ।
बादर के पुरुत पुरुत ह परपरावत हे ॥
केदार के परलै देखिस परछो फेर नइ पाइस ।
बादर के पुरुत पुरुत ह परपरावत हे ॥
धुर्रा गर्रा बादर आगी अउ पानी बर,
रुख राई बहुत ज़रूरी हें जिनगानी बर ।
कतेक जुग ले कवि हर चिंचियावत हे ॥
घरी घरी, घरी जातरी के आवत हे ॥
रुख राई बहुत ज़रूरी हें जिनगानी बर ।
कतेक जुग ले कवि हर चिंचियावत हे ॥
घरी घरी, घरी जातरी के आवत हे ॥
राजकिशोर पाण्डेय
नगर पंचायत मल्हार
मों न 9981713645
नगर पंचायत मल्हार
मों न 9981713645
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