शनिवार, 25 जून 2016

पागा कलगी-12/28/देव साहू

रो रो के गोहरावत हव
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लहू के हर कतरा ले भिज गे हव
टंगिया ले अब झन मारव मोला
आगास के बादर ले पूछलव
मोला कइसे लइका सरिक पोसे हे
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मउसम ह खुन पसिना ले सिचे हे
माटी तको बरबसी झाडे हे
फुरफुर पुरवाही हवा ले पूछलव
जेन मया के झुलना म झुलाय हे
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हर पल मोर खियाल रखे हे
तभे अंतस ले बिजा मोर जागे हे
तय सुखा ये भुंइया म
रुखराई के एक बगिचा बना लव
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रो रो के गोहरावत हव मितान
मोला जमिन ले झन उखाडव
मेहा हर जिनगी के सांस हरव
मोर मयारु सगी मोला झन काटव
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ए भुंइया के सुग्घर छंइहा
रुखराई चिरइ चिरगुन ले बने हे
फुरफुर पुरवाई के ए हवा
अमरित बन के चलत हे
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हमरे नत्ता हे जम्मो जीव ले
जेन ए भुंइहा म संगी आही
हमरे ले रिस्ता ह मनखे मनखे के
जेन ए भुंइया म संगी जाही
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हवा गरेर ले डारा खांधा टूटगे
जगे जगाए रुख ल चुलहा म झन डारव
रो रो के गोहरावत हव
मोला जमिन ले झन उखाडव
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कतको फल फलहरी ल हमन देथन
तभो ले अजनबी सरिक पडे हन
धरे टंगिया हाथ म हमला ताक झन
जवाब देवव काबर मुरदा सन खडे हन
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हमरे ले सुग्घर जिनगी मिले हे तोला
पारत हव गोहार झन काटव मोला
बुरा नजर मोर उपर म झन डारव
तुहर मया के छंइहा ले झन मारव
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रो रो के गोहरावत हव मितान
मोला भुंइया ले झन उखाडव
मेहा हर जिनगी के सांस हरव
मोर मयारु मितान मोला झन काटव
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कहू जमिन म नई रिही रुख राई
तुहर जिनगी हो जाही एक दिन दुखदाई
तराही तराही मनखे मनखे ल होही
दुनिया म हाहाकार तको मच जाही
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तभे पछताहू तुमन ह गा संगी
हमन एला काबर बिगाडे हन
हमर ले जब घर कुरिया बनथे
दु बखत के भरपेट चाउर चुरथे
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हर घर म खडे किवाड हे
गली गली म रुख लगावव
जम्मो मनखे म आस जगावव
सुग्घर मया के रुख लगावव
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रो रो के गोहरावत हव मितान
मोला भुंइया ले झन उखाडव
मेहा हर जिनगी के सांस हरव
मोर मयारु मितान मोला झन काटव
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देव साहू
गवंइहा संगवारी
कपसदा धरसीवा

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