"झन काट रुख ला"
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झन काट सगवारि ओ रुख ला गा ....
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झन काट सगवारि ओ रुख ला गा ....
जेमे मिलते तोला फल फुल हा गा .......
चारों कोति हवा चलत हे ......
कतना सुघड़ लगत हे .....
कतना खुशी के बात ए सगवारि हो .......
ए रुख राई हाबे ना ता हमर जिंदगी चलत हे....
जिंदगी जीए बर आए हन ......
जइसन हमर ए घर हे .......
ओसने ओ काकरो घर ए ........
जिंदगी जीए बर आए हन ......
जइसन हमर ए घर हे .......
ओसने ओ काकरो घर ए ........
झन काट सगवारि ओ रुख ला वहु
में काकरो जीवन हे........
में काकरो जीवन हे........
झन काट सगवारि ओ रुख ला गा ..........
जीव जंतु चिराई मन तोला देखत हे ......
अब हमन कहा जाबो कहीं के ओकर आँखी ले आसु निकलत हे ........
झन काट सगवारि ओ रुख ला गा .........
एमे सबके जिंदगी ह समाये हे .......
उही रुख ले कच्चा माल बनके आय हे ........
उही रुख ले कच्चा माल बनके आय हे ........
अउ ए जिंदगी ला चालाये बर बेरोजगार मन ला काम दिलाये हे......
झन काट सगवारि ओ रुख ला गा........
सबो झन के जिंदगी इही में हे ........
फुल मिलत हे फल मिलत हे.......
अउ मिलत हे चारा .......
अउ मिलत हे चारा .......
झन काट सगवारि ओ रुख ला गा ए जिंदगी के नईये ठिकाना ......
***योगेश साहु अरजुनि बालोद ***
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