बुधवार, 22 जून 2016

पागा कलगी-12/22/अमित चन्द्रवंशी"सुपा"

का होंगे आज मनखे मन ला दुनिया ला बरबाद करे बर तुले हवय,
दुनिया ला उजाड़े बर पेड़ पौधा ला काटे बर मनखे मन तुले हवय।
पेड़ ही नई होहिय ता शुद्ध-शुद्ध ताजा-ताजा वायु कहा ले पहु,
दुनिया मा जीना हवय ता पड़े पौधा ला कटाव नही ओला उगहु।।
उजड़त हवय जंगल हा जमीन होवत हवय रुखासुखा,
उजड़त हवय जंगल हा पशु पक्षी दुनिया ले जावत हवय।
पानी सुखागे पेड़ झाड़ हा दुःखे बरोबर दिखात हवय,
पर्यावरण ला बरबाद करे बर मनखे मन तुले हवय।।
कबहु-कबहु जंगल मा आगी लगथे,
पुरा पशु-पक्षी मन जल के मर जाथे।
का होंगे मनखे मन ला पेड़ ला कटथे,
ट्रेन दौड़ाय बर जंगल ला उजड़त हे।।
वर्षो बाद जंगल धरती में धस के नवा-नवा कोयला देथे,
कबहु-कबहु प्रकृतिक आपदा ले जंगल ह बचावत हवय।
हर साल नवा-नवा फूल-फल सुन्दर हवा देवत हवय,
तभो मनखे मन दुनिया ला उजड़े बर पेड़ काटत हवय।।
-अमित चन्द्रवंशी"सुपा"
रामनगर कवर्धा
8085686829

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