सोमवार, 4 जुलाई 2016

पागा कलगी-12/34/ सुखदेव सिंह अहिलेश्वर

छत्तीसगढ़ी लोकगीत पंथी ह सरल भाषा म
संदेश परधान गीत होथे,ए चित्र आधारित रचना
ल पंथी गीत के तरज देयके परियास करे हंव।
देखव सुनव गा मितान,
लोग लईका सियान।
पेड़ के कलपना डाहर,
देवव गा धियान।
चिरई के तलफना डाहर,
देवव गा धियान।
मनखे के आरा ह,
पेड़ ऊपर चलथे-2
चिरई के खोंदरा ह,
टुट कर गिरथे-2
चिरई होगे हलाकान,
छुट जाही का परान।
पेड़ के कलपना........।
चिरई के तलफना.......।
पेड़ के महत्व ला ,
सबो देखत जानत हे-2
लालच मे अंधरा,
देखके नई मानत हे-2
कइसे जीबो गा सियान,
बिरथा हो जाही गियान।
पेड़ के कलपना......।
चिरई के तलफना.....।
बिरवा लगाये के,
किरिया गा खाना हे-2
सबो जीवजंत के,
घरौंदा बनाना हे-2
नवा होवय गा बिहान,
सुख पावय भगवान।
पेड़ के कलपना.....।
चिरई के तलफना.....।
रचना:-- सुखदेव सिंह अहिलेश्वर
गोरखपुर,कवर्धा
9685216602

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