सोमवार, 4 जुलाई 2016

पागा कलगी-12/46/उमेश श्रीवास,सरल

परियावरन ला बचाबो🌾
।।।।।🌴गीत🌴।।।।। कटगे कतिक रुख-रइया,/ए भइया/
जलगे कतिक रुख-रइया।
रुख लगाए बर जाबो, परियावरन ला बचाबो
ए भइया कटगे कतिक रुख-रइया----
रुख बिन देख बदरिया लुकागे,
खेतखार अउ नरवा सुखागे।
चिरई-चिरगुन बघवा-भालू
फलमूल बिन सबो हावें दुखालू
फलदार रुख लगाबो
परियावरन ला बचाबो
ए भइया कटगे कतिक रुख-रइया----
हवा बिन जग के सांस ह अटके,
बिन पानी जइसे मछरी ह तड़पे।
परदूषित जिनगानी ह होंगे,
अपन करम ला सब कोई भोगे।
सुखी जिनगानी बनाबो
परियावरन ला बचाबो।
ए भइया कटगे कतिक रुख-रइया----
त्रेता में लछिमन मुरछा खाए,
तब हनु संजीवन परान बचाए।
जड़ी-बुटी ला बचाबो
परियावरन ला बचाबो।
ए भइया कटगे कतिक रुख-रइया----
-------------------🌻----------------------
उमेश श्रीवास,सरल,,
रत्नान्चल साहित्य परिषद अमलीपदर,वि.ख.मैनपुर
जिला-गरियाबंद छ.ग
7077219546
9302927785

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें