मंगलवार, 12 जुलाई 2016

पागा कलगी-13 /27/अशोक साहू

।।माटी मोर मितान।।
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सब जीव खातिर अन उपजईया
मै हा नंगरिहा किसान।
धरती दाई के सेवा बजईया
माटी मोर मितान।।
जांगर टुटत मै खेती कमाथंव
बेरा लागय न कुबेरा।
होत बिहनिया बासी धर जाथंव
संझाती आथंव अपन डेरा।।
जियत किसानी मरत किसानी
मोर करम हे सत ईमान
धरती दाई के सेवा बजईया.........
नांगर बईला हे मोर संगवारी
अरा तता कईथंव धर तुतारी।
हरियर हरियर खेती खार मोर
धान कटोरा मोर महतारी।।
भाखा बोली मोर छत्तीसगढी
चटनी बासी मोर खान पान।।
धरती दाई के सेवा बजईया
माटी मोर मितान।।
अशोक साहू, गांव भानसोज
तह. आरंग, जि. रायपुर

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