रविवार, 31 जुलाई 2016

पागा कलगी-14/13/देवेन्द्र कुमार ध्रुव

शीर्षक -ढेकी बर दोहा
दोहा कही पारे हो गलती ला आप जरूर बताहू
ऐहा थाती ऐ हमर,पुरखा के सिरजाय।
ऐमा अनाज ला कुटय,तब सब जेवन पाय ।।
आरो ढेकी के सुनय,दाई मन सब आय।
सुख दुख के जी गोठ, संगे मा चल जाय।।
घर घर मड़िया हा चुरय,कोदो कुटकी खाय।
ढेकी हा जेला दरय,सबला अबड़े भाय।।
पाटा लकड़ी के झुलय,थुनिहा घला गड़ाय।
ढेकी हा बाजत रहय,जइसे गाना गाय।।
मसीन के दुनिया हरय, आनी बानी ताय।
बेरा के जी संग मा,बदलत सब हा जाय।।
ढेकी कुरिया कोति अब,कोनो नइतो जाय।
काही नइये अब जतन,जावत हे नंदाय।।
कोनो उदीम अब करव,दुरिहा ऐ झन जाय।
सुरता ऐकर मत भुलय,मन मा ऐ
बस जाय।।
रचना
देवेन्द्र कुमार ध्रुव (डी आर)
फुटहा करम बेलर
जिला गरियाबंद *छग*

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