मंगलवार, 26 जुलाई 2016

पागा कलगी-14 /18/अशोक साहू , भानसोज

ढेंकी।।
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ढेंकी बाजय ठकरस ठकरस
सुर ताल ह बने सुहावय।
कतको धान ल कूट कूट के
दाईं ह हमर मढावय।।
घर म नईये ढेकी बाहना
त पडोसीन घर जुरियावय।
गोठियावत अपन सुख दुःख ल
लउहा धान कुटावय।।
ढेंकी चांउर के भात म
सुवाद अबड राहय भाई।
तन ह घलो बने राहय
नई आवय रोग अउ राई।।
कहां पाबे अब घर म ढेकी
ढेकी के दिन ह पहागे।
मनखे घला अलाल होगे
बात बात म मशीन ह आगे।।


अशोक साहू , भानसोज
तह. आरंग , जि. रायपुर

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