गुरुवार, 14 जुलाई 2016

पागा कलगी-13/38/पवन नेताम 'श्रीबासु'

विसय - माटी के मितान
---------------------------------------------------------
छत्तीसगढ़िया रे किसान, हमर माटी के मितान।।
खेती करव रे किसान, हमर भुईंया के भगवान।।
धरव नांगर धरव तुतारी, खेत डाहर जावव।
धरती दाई ल रिझा के, हरियर लुगरा पहिरावव।।
धरौ मन म धियान, तुमन हरव ग सुजान,
छत्तीसगढ़िया रे किसान........
आनी बानी पेड़ लगाव, हमर माटी ल सुंदरावव।
आक्सीजन ल बुलाके,परदूसन ल भगावव।।
चलौ करव रे श्रमदान,तभे मिलही रे बरदान
छत्तीसगढ़िया रे किसान........
विदेशी खातू छोड़के, सवदेशी ल अपनावव।
माटी ह बिमार होवतहे,ईलाज ल करावव।
बढ़िया उगही जावा धान,आहि नवा रे बिहान
छत्तीसगढ़िया रे किसान..........
तुहर किसानी करे ले भैया,जग संसार ह पाथे।
तुहरे ल खाके नेता, अऊ तोही ल गुरराथे।
देखावव अपन स्वाभिमान, बाढ़ही तुहर सम्मान
छत्तीसगढ़िया रे किसान........
हमर माटी के मितान.........
---------------------------------------------------------
रचना - पवन नेताम 'श्रीबासु'
ग्राम - सिल्हाटी स/लोहारा
जिला - कबीरधाम छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ी बचाव उदिम
महतारी भाखा म 

1 टिप्पणी: