सोमवार, 4 जुलाई 2016

पागा कलगी-12/38/तरूण साहू "भाठीगढ़िया"

जान बुझ के टंगिया ल अपन पांव म मारव झन
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जान बुझ के टंगिया ल, अपन पांव म मारव झन ।
अपन घर ल अंजोर करेबर, दूसर घर ल बारव झन ।।
रुखराई अउ जीव जंतु सबो हर हमर मितान हे,
जे हर येला काटथे मारथे वो हर पशु समान हे ।
चिरई चिरगुन जंगल के परानी मनला तुमन मारव झन,
जान बुझ के टंगिया ल अपन पांव म मारव झन ।।
रुखराई ल काटबे त हावा कहाँ ले पाबे तै,
बरषा जब नई होही त पानी कहाँ ले पाबे तै ।
अंकाल अउ दुकाल ल, तुमन हर गोहरव झन,
जान बुझ के टंगिया ल अपन पांव म मारव झन।।
सुरूज अंजोरी म पाना ले रुख हर खाना बनाथे,
हावा ल सुद्ध करथे अउ बरषा घलो बुलाथे ।
जे खांधा म बइठे हो उही खांधा ल काटव झन,
जान बुझ के टंगिया ल अपन पांव म मारव झन।।
धरती के सिंगार करे बर रुखराई ल जगबो,
हरियर परयावरन बनाके परदुसन ल भगाबो।
परयावरन के मरजादा अउ नियम ल बिगारव झन,
जान बूझ के टंगिया ल अपन पांव म मारव झन।।
तरूण साहू "भाठीगढ़िया"
ग्राम भाठीगढ़, ( मैनपुर )
जिला गरियाबन्द ( छ.ग.)
मो.न. 9755570644
9754236521

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