बुधवार, 13 जुलाई 2016

पागा कलगी-13/29/चैतन्य जितेन्द्र तिवारी

"माटी के मितान"
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खांध म नांगर बांधे पागा अउ हाथ धरे तुतारी
संग म नारी टुकनी बोहे अउ हाथ धरे कुदारी
खेती माटी तोर जिन्दिगानि तै माटी के मितान
मेहनत के पछीना बोहइया तै माटी के किसान
भुइया ले तै अन्न उगाए तै भुइया के भगवान
नांगर फांद दौड़ाए बइला तै जांगर के धनवान
माटी अउ किसान के पिरिति चन्दा के चकोरा
उपजे मया के फसल काहिलाए धान के कटोरा
माटी कहे अउ करे पुकार सुनव गा मोर मितान
झन करव तुम आतमहत्या सुनव गा मोर किसान
डोलबे झन समय करवट्टी लेहि बांधव मन आस
सबे दिन नइ होवय एक जइसे राखौ मन बिश्वास
सोन कस फसल उगाइया करन का तोर बखान
हमन दाना चुगइया नइ चुकाए सकन तोर लगान
CR
चैतन्य जितेन्द्र तिवारी
थानखम्हरिया(बेमेतरा)

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