का सूख पाबे तै घर ला मोर
उजाड़ के।
बिन मुँह के जीव मै काला कहू पुकार के।।
उजाड़ के।
बिन मुँह के जीव मै काला कहू पुकार के।।
निर्दोष जीव ला कतका सताबे रे।।
🏕अपन बनाये बर मोर घर ला मीझाल देहे।
हरीयर हरीयर रुख राई जम्मो ला काट देहे।।
हरीयर हरीयर रुख राई जम्मो ला काट देहे।।
🏜भीयं के इज्जत रुखे राई ले हे।
स्वर अऊ संगीत तोता मैना चिराई ले हे।।
स्वर अऊ संगीत तोता मैना चिराई ले हे।।
🕴सबो अपने कस मानव संगी हो।
अपनेच ला अपन झन जानव संगी हो।।
अपनेच ला अपन झन जानव संगी हो।।
ऊनी (खम्हरीया)
8085719189
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