सोमवार, 18 जुलाई 2016

पागा कलगी-14/4/टीकाराम देशमुख "करिया'

" मंहु ल ढेंकी कूटन दे "
मंहु ल ढेंकी कूटन दे ओ दीदी......
मंहु ल ढेंकी कूटन दे
हमर मइके डाहर ये ह नंदागे
आज मोर संऊख ल पूरन दे ओ दीदी
आज मोर संऊख ल पूरन दे
मंहु ल ढेंकी कूटन दे.............
१.नानपन मं घर में देखे रेहेन ढेंकी,
ऐति मस्कय, त ओती उठय
बड़े बिहनियां ले साँझ रतिहा तक,
दू खांड़ी धान ल कुटय |
आजी अऊ फुफू के करे बुता ल...
मंहु ल आज सीखन दे ओ दीदी
मंहु ल आज सीखन दे
मंहु ल ढेंकी कुटन...............
२.आगे जमाना नवां , नवां मशीन घलो ह आगे
थोरिक समे मं धान दराथे,पिसान झट ले पिसाथे
तईहा के गोठ ल ,बईहा लेगत हे....
चिटिक चंऊर ल मोला छरन दे ओ दीदी
चिटिक चंऊर ल मोला छरन दे
मंहु ल ढेंकी कुटन..............
३. राहय मइके घर मं जांता, पथरा कते तनी फेंका गे
बाहना घलो छबागे ओ दीदी ,मुसर पठंऊहा मं टंगागे
गजब समे मं मऊका मिले हे...
डांडी़ ल मोला मसकन दे ओ दीदी
मंहु ल थोकिन देखन दे
मंहु ल ढेंकी कुटन ..................
© टीकाराम देशमुख "करिया'
स्टेशन चउक कुम्हारी ,जिला_दुरुग
मो._९४०६३ २४०९६
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