सोमवार, 4 जुलाई 2016

पागा कलगी-12/47/आशा देशमुख

परकिति के गोहार
सुनलव ......रोवत हे कलप कलप के
धरती हा तरवा धरके ,
किंजरत हे अतियाचारी
देवत हे दुख बड़ भारी .....राम हो
कइसे .......पीरा बतावंव मोरे राम हो |
1 पाँच पदारथ हा जुल मिलके
परकिति ला सिरजावय
ये ....परकिति.....
रुखवा राई जीव जनावर
सबो म साँस समावय |
हाँ....सबो....
देखव ......नदिया नरवा ह खिरत हे
भुइँया हा परिया परत हे ,
मनखे हा बन गे आरी
काटय साँसा के नारी (नाड़ी ) राम हो
कइसे ....दुःख ला गिनावंव मोरे राम हो |
रोवत हे कलप कलप के ..........
2.......मोरे सब बिन मुँह के धन के
कोनो नइहे बचईया
टपकत हे आँखी ले आँसू
नइ हे कोनो पोछइया |
देखव ....मरत हे खुरच खुरच के
कसई मन टोंटा मसके
गिधवा के साहूकारी
हंसा के चाम उघारी ..राम हो
कइसे....पीरा बतावंव मोरे राम हो |
रोवत हे कलप कलप के............|
3.........जागव रे सब मनखे मन हा
भरम के तोपना खोलव ,
इहि परकिति मा जिनगी हावे
मया के बोलना बोलव |
माँनव ....रुखवा हे छइहाँ सुख के
संगी अय सबके दुख के ,
आही ग मया के पारी
भरही भुइँया के थारी ....राम हो |
अइसे.....धरती ममहावव मोरे राम हो
सुघ्घर.....धरती लहरावव मोरे राम हो |

आशा देशमुख
एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा

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