गुरुवार, 28 जुलाई 2016

पागा कलगी-14 /20/आशा देशमुख

विषय ...ढेंकी (चित्र आधारित )
वइसे तो छंद विधा नई आवय पर थोकिन परयास करे हव ,गलती होही त माफ़ी देहु आपमन|
दोहा अउ आल्हा छंद के हिसाब से ये रचना हे
दोहा 13 ,11के मात्रा
आल्हा 16 ,15 के मात्रा ,अंत गुरु लघु |
ढेंकी
दोहा...हमरो छत्तीसगढ़ के ,सरग म होय बखान ,
अनपुरना सँउहत खड़े ,धरे कटोरा धान |
नांगर धरे किसान गा ,हे येकर पहिचान ,
घर घर मा कोठी भरे ,ढेंकी कूटय धान|
आल्हा ....
बड़े बिहनिया ढेंकी बाजय ,मया सुवाद सबो सकलाय |
घूम घूम के जांता नाचय ,मूसर बहना ताल मिलाय |
गड़य रहय जे घर मा ढेंकी ,वो घर के होवय गा मान |
दाई माई हँसी ठिठोली ,दया मया के बसय परान |
जात बिजात न जानय ढेंकी ,बस जानय वो गुत्तुर गोठ |
हाँथ गोड़ के सुनता देखय ,चउर छरावय पोठे पोठ |
कहाँ गवांगे मूसर बहना ,कहाँ गवागे ढेंकी मोर |
मोला अइसन लागय भइया , लेगे हवे समे के चोर |
जब ले गेहे ढेंकी घर ले ,धनकुट्टी के बाजय शोर |
जांगर लेलिस छुट्टी सबके ,रोग बिमारी धरलिस जोर |
ढेंकी के कुरिया हे सुन्ना ,जॉता के फुटगे हे माथ |
घर घर मा अब मिक्सी बइठे ,सिललोढ़हा के टुट्य हाँथ |
चलव सबो जुरियावव भाई ,मिलके परन करव गा आज |
अपन जुन्ना संसकिरती के ,अउ गा लाबो नावा राज |
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आशा देशमुख
एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा (छ .ग )

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