@ ढेंकी कूटे के साध @
पहिली घरोघर आट परछी कुरिया म,
ढेकी गाड़े रहय।
परती दिन कोहूँ न कोहूँ कुरिया म,
कूटइया ठाढ़े रहय।।
ढेकी गाड़े रहय।
परती दिन कोहूँ न कोहूँ कुरिया म,
कूटइया ठाढ़े रहय।।
एक दिन नवा बछर के चम्पा ह ,
ढेकी कूटत देखिच।
अबड़ साध लागे ओहू नोनी ल,
अपनों कूटे बर सरेखिच।।
ढेकी कूटत देखिच।
अबड़ साध लागे ओहू नोनी ल,
अपनों कूटे बर सरेखिच।।
देखिच कूटत पिसत सीता गीता ल.
रतिहा के फिलोय चाउर।
जानिस इहि ल धनकुत्ति ढ़ेकी कहिथे
कूटे पिसे के इहि ठउर।।
रतिहा के फिलोय चाउर।
जानिस इहि ल धनकुत्ति ढ़ेकी कहिथे
कूटे पिसे के इहि ठउर।।
टुकुर टुकुर देखत हावय मगन माते,
ओमन के खोवाई आउ कुटाई।
लालच बड़ लागे चम्पा ल मन में सोचे,
बनाही आज कछु न कछु मिठाई।।
ओमन के खोवाई आउ कुटाई।
लालच बड़ लागे चम्पा ल मन में सोचे,
बनाही आज कछु न कछु मिठाई।।
का का कुटथे पिस्थे एमा कहिके,
चम्पा ओमन ले पुछिस।
सबो मंत्रा सिखगे चम्पा बेटी,
जानिच के पीछू घुचिस।।
चम्पा ओमन ले पुछिस।
सबो मंत्रा सिखगे चम्पा बेटी,
जानिच के पीछू घुचिस।।
बताइन ओला एला ढेकी कहीथे ,
आज के हालर मिल।
दुनो के तुलना ल सुनके चम्पा ,
हासे खिल खिल खिल।।
आज के हालर मिल।
दुनो के तुलना ल सुनके चम्पा ,
हासे खिल खिल खिल।।
पइसा कवड़ी लगे नही ढेकी म,
ए गरिबहा मन के देवता हे।
काली मोरो ल कूटे पिसे बर,
आइहा कहे चम्पा नेवता हे।।
ए गरिबहा मन के देवता हे।
काली मोरो ल कूटे पिसे बर,
आइहा कहे चम्पा नेवता हे।।
ढेकी के बनइया तोर जय हो।
धान ,मेरखु ,पिसान के पिसइया,
गेहूं कोदो के कुटइया तोर जय हो।।
धान ,मेरखु ,पिसान के पिसइया,
गेहूं कोदो के कुटइया तोर जय हो।।
पी0 पी0 अंचल
9752537899
हरदीबाज़ार कोरबा छ0ग0
9752537899
हरदीबाज़ार कोरबा छ0ग0
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