सोमवार, 4 जुलाई 2016

पागा कलगी-12/40/ओमप्रकाश चौहान

हमर जंगल दाई
🌴🌲🌳🍁🍂🌵🌴
रुख राई जंगल दाई 
ये जम्मो हमर परान हे,
झन काटव बयरी कोई
हमर पुरखा येहर निसान हे।
कईसन सुख पाए बर
करे निच्चट उदीम तैय,
निरलज जिव के घर उजार
करदेस मानवता गिरवी तैय।
ये पुरवा अमराई हलधर के
भार भरोसा बर अब कोन हे
करनी निटोरत मानुष के
पकरिती काबर अब मउन हे।
नोहर भुंइयाँ मानुस भर,
गोहार करत 'ओम' जम्मो महान
न तोर ताक बगरय न मोर
करव सबे अइसे जुरमिल निदान।
🌴 ओमप्रकाश चौहान 🌴
🌻बिलासपुर🌻

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