मंगलवार, 26 जुलाई 2016

पागा कलगी-14/19/जगदीश "हीरा" साहू

* ढेकी *
आज सब घर ले ढेकी नदागे ।
मिल के पाछु सबझन मोहागे।।
पहिली सब मिलजुल के, धान कुटे जावय ।
अंतस के गोठ, एक दूसर ले गोठियावय ।।
अब तो सब मनखे, एक दूसर ले दुरिहागे।
आज सब घर ले, कइसे ढेकी नदागे ।।
मिलजुल के एक संग, करय सब काम ।
नई लागे जिम जाये बर, तन ला हे अराम ।।
आज माढ़े ढेकी ला, सौहें घुना खागे ।
आज सब घर ले, कइसे ढेकी नदागे ।।
मनटोरा धान कूटय, मंगलीन हा खोवय ।
सुकवारा नोनी हा खड़े-खड़े देखय ।।
मन भारी कुलकत हे, दुःख सब भुलागे ।
आज सब घर ले, कइसे ढेकी नदागे ।।
जगदीश "हीरा" साहू
कड़ार (भाटापारा) ,9009128538

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