सोमवार, 18 जुलाई 2016

पागा कलगी-14 /3/आचार्य तोषण

शीर्षक:-ढेंकी
(१) 
कहनी मोर अजब । सुन कहिबे गजब
बेटा अऊ महतारी । रहय एक दुवारी
(२)
लइका कथे मोला । भुख मरे चोला
दाई देदेन भात । मोला तात तात
(३)
चऊंर नीहि घर । कइसे डारंव कर
खाली पेट सुत । जलदी जबे उठ
(४)
जाबो धान कुटाय । सबले रबो अघुवाय
दूरिहा गांव ढेंकी । कहाथों बात नेकी
(५)
होत बिहिनिया जोरा। धरे धान बोरा
आमा लीम छांव। पहुंचिन दूर गांव
(६)
जांगर पिरागे जोर । चेत होगे थोर
भीड़ देखय मजबूरी। कुटाना घलक जरूरी
(७)
कब आबे पारी । सोंचय मोर महतारी
बिहनिया होवय सांझ। डरबो कब रांध
(८)
एक खांड़ी धान । कुटाही कतिक जान
देखत हावय दाई । मोर होगे करलाई
(९)
पारी आगे कुटय । चऊंर फोकला छुटय
कुकरा बोलय कुकरूस। ढेंकी करय भुकरूस
(१०)
जइसे कुटाय धान । चेहरा छइस मुसकान
रद्दा चलिस धर । पहुंचिस अपन घर
(११)
चऊंर डरिस निमार । संग ओइरिस दार
चुरय दार भात । खावय दुनो तात
(१२)
खाए पिए सुतगे । मोर कहनी पुरगे
तोषन बजाय तबला। राम राम सबला
(१३)
रचना रचे तोषण। संगवारी जेकर पोषण
मे हरंव शिक्षक। बनगे ओहर चिकित्सक
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आचार्य तोषण,धनगांव डौंडीलोहारा
बालोद, छत्तीसगढ़ ४९१७७१

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