सोमवार, 4 जुलाई 2016

पागा कलगी-12/35/चैतन्य जितेन्द्र तिवारी

विषय =चित्र अधारित
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हरियर हरियर रुख ला काटत हन
हाँथ म धरे बसूला टंगिया अउ आरी
नई बांचत हे कटई ले कोनो जगह
खेतखार गाँव घर जंगल अउ झारी
पेड़ हर देवत हे बिन मांगे सब कुछ
जरीबूटी फरफूल हवा निरमल पानी
दुनिया म जीवन के आधार हरे रुख
इही परकिति के पहिली पहल निशानी
जब लगा अउ उगा नइ सकन रुख ल
त आखिर हम कोन होत हन कटइया
हमन सब जानत हन सब देखत हन
तभो ले हमन कोनो नइ हन बोलइया
उजाड़ घर सब जीव-चिरईयन के
घर अपन कतका सुग्घर बसावत हन
बिचार करव अपन काम ल साधे बर
दूसर के ला हम कतका बिगाड़त हन
एक डहर परकिति ला बिगाड़त हन
करत हन जीव हत्या बनके मांसाहारी
दूसर म कहिलाए बर परकिति परेमी
रचत हन बड़ कविता बनके कलमधारी
जियव अउ जीयन दव के सन्देश ला
चलव जम्मो जुरमिल के अब अपनाथन
नइ काटन रुख ला नइ करन जीव हत्या
चलव परकिति ले मया ला अब बढ़ाथन
CR
चैतन्य जितेन्द्र तिवारी
थान खम्हरिया(बेमेतरा)

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